मुजफ्फरपुर : एईएस को लेकर सर्तकता आई काम..सही वक्त पर अस्पताल पहुंचने से राशिद की बच पाई जान
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सर्तकता आयी काम, सही समय पर अस्पताल पहुंचने से राशिद की बची जान
• अस्पताल की तरफ से राशिद को लाने वाले प्राइवेट वाहन को मिला भाड़ा
• दो घंटे के अंदर लाने से बची राशिद की जान
मुजफ्फरपुर 23 जून : (Muzaffarpur) जिले के मोतीपुर प्रखंड (Motipur Block) के गोपीनाथपुर गांव की अजीमुन निसा के पुत्र राशिद एईएस से जंग जीतकर घर लौट चुका है. सही वक़्त पर यदि एक्यूट इन्सेफ़लाईटिस सिंड्रोम (Acute encephalitis syndrome) यानी एईएस के मरीज को अस्पताल तक पहुंचाया जाए तो उसकी जान आसानी से बचायी जा सकती है. सरकार द्वारा प्रत्येक प्रखंड के पंचायत स्तर पर प्राइवेट टैग वाहनों की शुरुआत होने से अब यह संभव हो सका है.
प्राइवेट ऑटो से पहुंची अस्पताल :
रशीद की माँ अजीमुन निसा ने बताया 28 अप्रैल को उनका बेटा राशिद एईएस की चपेट में आया था. यद्यपि राशिद रात में अच्छी तरह ही खाना खाकर सोया था. लेकिन सुबह लगभग 5 बजे के आस-पास उन्होंने देखा राशिद के मुँह से झाग निकल रहे थे एवं दाहिना पैर काँप रहा था. उन्होंने बताया यह मंजर उनके लिए परेशानी की बात थी. वह स्थानीय चिकित्सक को घर बुलाकर राशिद को दवा दिलवाई. उन्होंने बताया दवा देने के 1 घंटे बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ. राशिद की बिगड़ती स्थिति को देखकर उन्होंने राशिद को प्राइवेट ऑटो से मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Health Center) ले आई. राशिद सुबह 7 बजे तक सीएचसी मोतीपुर पहुंच चुका था. राशिद को मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एईएस वार्ड में इसे भर्ती किया गया, जहाँ करीब एक घंटे तक इसका प्राथमिक ईलाज चला. उसके बाद राशिद को अस्पताल के एम्बुलेंस (Hospital ambulance) से ही एसकेएमसी हॉस्पिटल ले जाया गया. एसकेएमसी हॉस्पिटल में जांच हुई और इसमें एईएस की पुष्टि हुई. अजीमुन निसा ने बताया करीब एक हफ्ते तक राशिद का ईलाज एसकेएमसी हॉस्पिटल पर चला. उसके बाद राशिद को वहाँ से डिस्चार्ज कर दिया गया. जिस वाहन से अजीमुन निसा राशिद को हॉस्पिटल लेकर गयी थी, उसे 400 रुपये का भुगतान भी अस्पताल द्वारा ही किया गया.
8 दिन बाद फिर मिले लक्षण
पहली दफे राशिद में एईएस की पुष्टि होने के बाद एसकेएमसी (SKMC) हॉस्पिटल में 7 दिन तक ईलाज चलने के बाद वह ठीक हो गया था. लेकिन दूसरी बार भी राशिद में एईएस के लक्षण मिले. जब दूसरी बार राशिद में रात में 11 बजे एईएस के लक्षण आए तो इसे पुनः मोतीपुर सीएचसी में भर्ती कराया गया. इस बार भी इसके शरीर में कंपंन और आंखे तरेरने की शिकायत थी. मोतीपुर में इसका देा घंटे ईलाज चला. उसके बाद इसे फिर से एसकेएमसी हॉस्पिटल भेजा गया। वहाँ ईलाज होने के बाद अब राशिद बिल्कुल स्वस्थ है.
राशिद के पिता मो. मक्की ने बताया लोग शिकायत करते हैं कि सरकारी अस्पतालों मे सेवाएं नहीं है. मगर उनका अनुभव तो ठीक लोगों से विपरित है. उन्होंने बताया राशिद के इलाज में कहीं भी उन्हें एक रुपये भी नहीं देने पड़े। अस्पताल में अनुभवी और प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा राशिद का ईलाज हुआ. यही कारण है कि राशिद में दो बार एईएस के लक्षण मिलने के बाद भी वह आज स्वस्थ है.
प्रतिदिन हो रहा है फॉलोअप:
मो. मक्की ने बताया आशा फैसिलेटर सुमन राय और आंगनबाड़ी सेविका बेगम रोज राशिद का फॉलोअप करने आती हैं. वे फॉलोअप के दौरान राशिद को धूप में नहीं खेलने देने एवं रात को सोने से पहले कुछ खाना खिलाने की सलाह देती है. वह बताते हैं सरकार की तरफ से एईएस को लेकर काफी पुख्ता इंतजाम हैं. जरुरत यह है कि लोग चमकी के लक्षणों को पहचान कर सकें और पीड़ित बच्चे को फौरन ही सरकारी अस्पताल ले जाएं। \
उनके क्षेत्र की आंगनबाड़ी सेविका शहजादी ने बताया आंगनबाड़ी में इनरौल बच्चों को महीने में एक किलो दाल, दो किलो चावल और सोयाबीन का एक पैकेट मिलता है।
वहीं गोपीनाथपुर गांव के मुखिया मनोज सिंह कहते हैं, ‘‘चमकी को लेकर इस बार जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों ही सजग दिख रही है। घर -घर जागरुकता तो फैलाया जा ही रहा है। मुझे लगता है कि इस बार प्राइवेट वाहन जो टैग किए गये हैं, उससे लोगों को काफी सहायता मिल रही है। इस वर्ष जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की जागरुकता एवं सजगता के कारण एईएस नियंत्रण में है’’.
रिपोर्ट : अमित कुमार