राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बिपिन ने लिया एमडीए कार्यक्रम का जायजा
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दवा खिलाने के तरीकों से दिखे संतुष्ट
– भगवानपुर तथा गोरौल के गांवों का लिया जायजा
वैशाली: जिले में चल रहे सर्वजन दवा कार्यक्रम का अनुश्रवण करने फाइलेरिया के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बिपिन मंगलवार वैशाली पहुंचे। उन्होंने दो प्रखंड भगवानपुर के अकबरपुर मलाही तथा गोरौल के पीरापुर गांव में चल रहे कार्यक्रम का जायजा लिया। डॉ. कुमार ने बताया, फाइलेरिया की दवा दिए गये मापदंडों के अनुसार ही खिलाया जा रहा है। उन्होंने कटोरी मेथड से भी दवा खिलाते हुए भी देखा। दवा को खिलाते वक्त कोरोना संक्रमण के मापदंडों का भी ख्याल रखा जा रहा था।
वहीं मौके पर जिला भीबीडी पदाधिकारी डॉ. सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा,14 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का यह 9 वां दिन है और सभी ब्लॉक में फाइलेरिया की दवा सुनियोजित तरीके से खिलाई जा रही है। वहीं इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी करायी जा रही है। जिले के हरेक ब्लॉक में विपरीत परिस्थितियों के लिए आरबीएसके तथा डॉक्टरों की टीम को तैनात किया गया है।
पांच साल तक लगातार खाने वाले को नहीं होगा फाइलेरिया
इस बाबत डॉ. सत्येन्द्र ने कहा लगातार पांच साल तक डीइसी(DEC) दवा के सेवन से फाइलेरिया से मुक्त हुआ जा सकता है। यह बीमारी परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस (parasite Qulax phantigans) मादा मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में पहुंचता है। ऐसे मच्छर घरों के आस-पास नाली, गढ्ढों व घर के अंदर रुके हुए पानी में पनपते हैं। इसके लक्षणों में ठंड लगने के साथ ही तेज बुखार होना, हाथ -पैर की नसों का फूलना, दर्द होना, जांघ में गिल्टी उभर आना, हाथ पैर में सूजन आदि हैं। डाईइथाइल कार्बामाजिन ( Diethyl carbamazine) व एल्वेंडाजोल (alvendazole ) दवा फाइलेरिया के लिए रामबाण होने के साथ ही सुरक्षित भी है।
किन्हें नहीं खानी है दवा
दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रुप से ग्रसित रोग के लोगों को यह दवा नहीं देनी चाहिए। दवा को खाली पेट नहीं खाना चाहिए।
बचाव के उपाय
बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर सरसों या नीम के तेल लगाकर सोएं। सोते समय से वस्त्रों का प्रयोग करें जिससे शरीर का अधिकांश भाग ढका हो। इस मौके पर स्टेट एनटीडी कोओर्डिनेटर, डब्ल्यूएचओ डॉ राजेश पांडेय, स्टेट कोओर्डिनेटर बसब रुज, डीपीओ केयर इंडिया सोमनाथ ओझा, केटीएस ऋषी कपूर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
कोरोना के प्रति भी नहीं बरतें लापरवाही:
कोरोना आपदा काल में सफाई का बहुत अधिक ध्यान देना है. सफाई का स्वास्थ्य से सीधा संबंध है. कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार अपना बहुत महत्वपूर्ण है. हाथों की समय समय पर साबुन से सफाई, मास्क का इस्तेमाल व शारीरिक दूरी के नियमों का अनुपालन गंभीरता से कर संक्रमण से बचाव किया जा सकता है.
रिपोर्ट : अमित कुमार