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रक्त की कमी के कारण भाई खोया, दूसरों का जीवन बचाने को कर चुके हैं 51 बार रक्तदान

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– मोतिहारी के रक्तवीर हैं धर्मेंद्र
– रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को करते हैं दूर
– रक्तदान के लिए लोगों को करते हैं जागरुक

मोतिहारी। 
जिले के कटहा लोकनाथपुर निवासी युवा धमेंद्र मोतिहारी के रक्तवीर हैं। उनको यह तमगा उनके रक्तदान करने और इस कार्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए मिला है। पिछले 10 वर्षों में उन्होंने 51 बार रक्तदान किया है। अपने रक्त से उन्होंने अब तक सैकड़ों लोगों की जानें बचायी हैं। धर्मेंद्र कहते हैं, रक्तदान के प्रति समर्पण के पीछे एक हृदयविदारक घटना है जो उनके ही परिवार से जुड़ा है। धर्मेंद्र उस घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं- उनके जन्म से पहले उनकी मां को प्रसव कराने अस्पताल ले जाया गया था। हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने रक्त लाने को कहा, पर उनके परिवार को रक्त नहीं मिला। यहां तक कि उनके परिवार वालों और खुद उनके पिता ने भी रक्त देने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने वक्त की गंभीरता को देखते हुए उनके पिता ने रक्त देकर उनकी मां को तो बचा लिया पर उस नवजात भाई को नहीं बचा पाए। मां की बतायी इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। वहीं पिताजी इस घटना के बाद चिड़चिड़े रहने लगे। इसके पीछे वह रक्त देने को ही वजह मानने लगे।

मिथक तोड़ना था पहला लक्ष्य
धर्मेन्द्र कहते हैं, ‘‘रक्त देने के बाद किसी तरह की कमजोरी, चिड़चिड़ापन या रक्त देने वाले में रक्त की कमी जैसी चीजें भ्रांतियां हैं। यह संदेश लोगों के बीच देना मेरा सबसे पहला लक्ष्य था। बचपन में भी मुझे रक्तदान की काफी इच्छा हुई, पर कम उम्र के कारण मेरी इच्छाओं को दबा दिया जाता था। आज मैं युवा हूं, मैंने बचपन में मेरे मां -बाप के आंखों मे उस हादसे के लिए आंसू देखे हैं। मैं नहीं चाहता कि लोगों को इसी आंसू का हिस्सा बनना पड़े. इसके लिए मैंने कई बार लोगों को रक्तदान के महत्व और इससे जुड़ी भ्रांतियों के बारे में बताता हूँ। मैं नहीं चाहता कि लोगों को भी रक्त की समस्याएं हो’’.

मेरे रक्त का हर कतरा देश और समाज के नाम

धर्मेंद्र कहते हैं- पिछले 10 वर्षों में लोगों की जरुरतों के अनुसार 51 बार रक्तदान किया है। कई दफा उन्होंने मारवाड़ी सेवा और रेडक्रॉस जैसे संस्थानों में जाकर खुद रक्तदान किया है। रक्तदान करने से उन्हें काफी खुशी मिलती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा- कई व्यक्ति को रक्त की कमी के कारण दम तोड़ते देखा है। ऐसी घटनाएं बंद हो इसके लिए अगर प्रत्येक घर से एक व्यक्ति भी रक्त दे तो ब्लड बैंकों में रक्त की कमी नहीं रहेगी।

युवाओं की बनायी है टोली

धर्मेंद्र कहते हैं- ‘‘मैंने रक्तदान के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए युवाओं की एक टोली बनायी है। जिनका काम घर-घर जाकर लोगों से मिल रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करना है। मेरा लक्ष्य है कि रक्तदान जीवनदान कार्यक्रम के तहत पूर्वी चंपारण की पावन धरती से भारत के कोने कोने तक प्रत्येक घर जाकर लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक करना। रक्तदान के बाद जुड़ी भ्रांतियों को खत्म करना है। मैं अपने जीवन में यही प्रयत्न करुंगा कि मेरे रक्त का एक -एक कतरा या देश और रक्त के जरुरतमंदों के काम आए’’.