किसानों के समर्थन में कृषि बिल का विरोध
1 min read* अलग-अलग किसानों के समर्थकों के विरोध का तरीका भी रहा अलग
नालन्दा (बिहार)हरनौत : केंद्र के द्वारा लाये गये तीन नये कृषि बिलों का विरोध कर विभिन्न पार्टी व संगठन के कार्यकर्ताओं में उनके किसान समर्थक होने की होड़ रही।
राजद के प्रखंड अध्यक्ष संजीत कुमार यादव उर्फ राय जी व भाकपा माले के गोपाल पाठक के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ता सुबह नौ बजे ही बाजार के चंडी रोड मोड़ के निकट पहुंचकर एनएच20 और 30 ए पर वाहनों का परिचालन बंद करा दिया। इस दौरान किसान की पहचान ट्रैक्टर पर भी प्रदर्शन किया।
जबकि, युवा शक्ति मंच के बैनर तले किसान नेता चंद्रउदय के नेतृत्व में युवा व व्यवसायियों ने बाजार में पैदल मार्च किया। उनके साथ युवा नेता रवि गोल्डन भी थे। गोनावां रोड मोड़ पर उन्होंने नुक्कड़ सभा कर लोगों को नये कृषि बिल व उससे किसानों को होने वाले नुकसान और व्यवसायों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डाला।
किसानों के समर्थन में कृषि बिल का विरोध कर रहे संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है। किसान देश की आत्मा हैं। उन्हें काफी मेहनत-मजदूरी करने के बाद भी कृषि योजनाओं के लाभ के लिए सरकारी संस्थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। बैंकिंग सुविधाओं के लिए खुद को किसान साबित करने में जमा-पूंजी निकल जाती है। यही स्थिति सब्सिडी व मुआवजे के लिए भी होती है। ये राशि भी सैंकड़े या हजारों में होती है। जबकि, बड़े-बड़े पुंजीपति-उद्योगपतियों को करोड़ों-अरबों की राशि दी जाती है। फिर वे खुद को दिवालिया घोषित कर वह मोटी रकम भी हड़प जाते हैं।
अब किसानों की सेहत बढ़ाने के लिए उन्हीं पुंजीपति-उद्योगपतियों के भरोसे करने से किसानों की दशा कैसे सुधरेगी!
किसान खेती कर उपज से ही आगे के कृषि कार्य के साथ परिवार के पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था करता है। नये कृषि बिल उनके शोषण के लिए हैं, न की पोषण के लिए।
बंद के दौरान बड़े वाहन सुबह से ही सड़क पर नहीं दिखे। इक्का-दुक्का इमरजेंसी वाले वाहन ही चले। किसी अनहोनी के₹ भय से रोड पर की दुकानें दोपहर तक बंद रखी गई।
बंद के दौरान मोहन सिंह, राम भगवान गोप, मिथिलेश यादव, रामबाबू, पप्पू यादव, राम विकास, राजकुमार पुरान, डॉ नंदलाल प्रसाद, धनंजय कुमार, बुद्धन यादव, बुद्धन सिंह, पवन सिंह, राम कुमार सिंह, रोहित कुमार, कैलाश बिंद, धर्मवीर, रंजीत, राहुल समेत कई थे।
रिपोर्ट : गौरी शंकर प्रसाद