जनसंपर्क के बहाने पिछड़ी बस्तियों में दस्तक दे रहा कोरोना जागरूकता का संदेश
2 min read• पिछड़ी बस्तियों में बच्चे भले ही कमीज पहनना भूल जाएं, लेकिन चेहरे पर मास्क जरूर दिख जाएगा
• जनसंपर्क अभियान के दौरान मास्क, साबुन बांटने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी कर रहे उम्मीदवार
सीतामढ़ी। कोरोना संक्रमण (Corona infection) को समुदाय में फैलने से रोकने में सरकार के अलावा कई स्तरों पर किए जा रहे प्रयासों ने अहम भूमिका निभाई है। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि कल तक कोरोना संक्रमण से बेपरवाह पिछड़ी बस्तियों के लोग भी अब जागरूक दिख रहे हैं। इन बस्तियों में भले ही बच्चे के बदन पर कमीज ना हो, लेकिन चेहरे पर मास्क जरूर दिख जाएगा। इसकी वजह यह है कि अभी चुनावी जनसंपर्क का दौर चल रहा है। जो भी उम्मीदवार क्षेत्र में घूम रहे हैं, वह लोगों के बीच मास्क, सैनिटाइजर और साबुन (Masks, Sanitizers and Soaps) जरूर बांट रहे हैं. पंचायत में समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय पठनपुरा गांव निवासी सुरसंड प्रखंड के पूर्व उपप्रमुख जावेद इकबाल कहते हैं कि आमतौर पर देखा गया है कि पिछड़ी बस्तियों में जागरूकता आने में थोड़ा समय लगता है, लेकिन जिला प्रशासन ने जिस तत्परता से पिछड़ी बस्तियों में जागरूकता पर अपना फ़ोकस बढ़ाया, उससे कोरोना की रोकथाम में बड़ी सफलता मिली है। दूसरी ओर चुनाव नजदीक होने के कारण जनसंपर्क अभियान (Public relations campaign ) में जुटे प्रत्याशियों द्वारा कोरोना जागरूकता को केंद्र में रखना भी काफी कारगर रहा है।
साफ-सफाई और मास्क पहनने की कर रहें अपील :
जावेद बताते हैं कि सुबह से रात तक जनसंपर्क अभियान में जुटे उम्मीदवार अपने पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के दौरान कोरोना के प्रति जागरूकता को भी तवज्जो देना नहीं भूलते हैं। लोगों को मास्क और साबुन देते वक्त समझाते भी हैं कि साबुन से दिन में कई बार हाथ साफ़ करते रहना है. घर से बाहर काम पर मास्क जरूर पहनने की बात बताते हैं. उनका कहना है कि जनसंपर्क के दौरान उम्मीवारों द्वारा इस तरह के प्रयासों का सकारात्मक असर पड़ा है। शुरू-शुरू में पिछड़ी बस्तियों में अधिकतर लोग मास्क की अहमियत नहीं समझते थे। कोई मास्क देता था तो घर की खूंटी में टांग देते थे, लेकिन जिले में प्रशासन से लेकर सामाजिक संगठन तक ने जिस तत्परता से समुदाय को जगाया, वह पिछड़ी बस्तियों में भी जागरूकता की रोशनी बिखेर गया। अब कोई छींकता या खांसता है तो इन्हीं इलाके के लोग उन्हें मुंह पर गमछा रखने की सलाह देते दिख जाते हैं। बहुत से बच्चे भले कमीज पहनना भूल जाएं, लेकिन मास्क पहनना नहीं भूलते। वह इसके फायदे भले नहीं जानते हों, लेकिन दूसरों को मास्क पहने देखने पर उनका अनुकरण करते हैं. जावेद के मुताबिक समुदाय के बीच छोटे-छोटे स्तरों पर किए गए चौतरफा प्रयासों का यह आज बड़ा असर है।
पंचायतों में भी बांटे गए हैं मास्क और साबुन :
जावेद बताते हैं कि सरकार के आदेश पर हर पंचायत में लोगों के बीच मास्क और साबुन का वितरण किया गया है। पंचायत प्रतिनिधि भी कोरोना के प्रति समुदाय को जागरूक करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वह बताते हैं कि शहर से लेकर गांव-कस्बे तक आज जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है, बावजूद शहरों की तुलना में गांव आज भी कोरोना के मामले में उतनी चिंताजनक स्थिति में नहीं है। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका को नजरंदाज नहीं कर सकते। कोरोना के मामले में गांव की इस तस्वीर को गढ़ने में पंचायत प्रतिनिधियों ने भी खूब मेहनत की है।