Mon. Apr 11th, 2022

Real4news

Latest and Breaking News in Hindi, हिन्दी समाचार, न्यूज़ इन हिंदी – Real4news.com

ट्रिपल ड्रग थेरेपी से फाइलेरिया का उन्मूलन होगा आसान : सिविल सर्जन

1 min read

 

– आईडीए प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का हुआ आयोजन
– डोज पोल से दवा देना होगा आसान

शिवहर,
आईडीए कार्यक्रम की सफलता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में सोमवार को ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ राजदेव प्रसाद सिंह ने की। मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कि शिवहर जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए जिले में 21 दिसंबर से आईडीए कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है। जिसमें ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत डीईसी, अल्बेंडाजोल, और आईवरमेक्टिन की गोली खिलाई जाएगी। यह थेरेपी फाइलेरिया रोग की जड़ पर गहरा प्रहार करेगा। इसके सेवन से व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के पारासाइट्स के प्रजनन और संक्रमण को कम किया जा सकेगा। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ केके सिंह ने कहा कि फाइलेरिया पर प्रहार के लिए पहले भी एमडीए कार्यक्रम चलाया जा रहा था। जिसके तहत डीईसी और अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाती थी। इसमें एक और दवा आइवरमेक्टिन जोड़ा गया है, जो कोशिका से वायरस को न्यूक्लियस में पहुंचने से रोक देती है। ऐसे में वायरस मरीज के डीएनए से मिलकर मल्टीप्लाय नहीं कर पाता है।
ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का हुआ आयोजन-
भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि आईडीए कार्यक्रम की सफलता और रूपरेखा बनाने के लिए  ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का आयोजन किया गया। इसमें प्रत्येक पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, बीएचएम एवं केटीएस के साथ माइक्रोप्लान पर चर्चा की गयी। जल्द ही ड्रग सुपरवाइजर यानि आशा फैसिलिटेटर उसके बाद आशा दीदियों का प्रशिक्षण होगा। उनको यह बात खास तौर पर बतायी जाएगी कि दवा स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खिलानी है।
भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि जिले में नाईट ब्लड सर्वे का कार्य चल रहा है। जिसमें रात के नौ बजे के बाद व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जाता है। ऐसा इसलिए कि फाइलेरिया के पारासाइट रात में ही ज्यादा एक्टिव होते हैं। यह नाईट ब्लड सर्वे का कार्य स्वास्थ्य विभाग एवं केयर इंडिया के संयुक्त दल के द्वारा किया जा रहा है। अभी तक जिले में 976 मरीजों की सूची उपलब्ध है।
डोज पोल के तहत दवा-
भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि चूंकि यह एमडीए से थोड़ा अलग है इसलिए इसके सेवन की उम्र भी अलग है। इस तीनों दवाओं को 5 वर्ष के ऊपर वैसे बच्चों को देना है जिनकी लंबाई 90 सेमी या उससे ज्यादा हो। अगर कोई बच्चा 5 वर्ष का है और उसकी लंबाई डोज पोल के मुताबिक नहीं है तो उसे वह दवा नहीं खिलाई जाएगी। आईडीए कार्यक्रम के तहत 2 वर्ष से कम उम्र, गर्भवती, महिला, गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्ति को यह दवा नहीं खिलानी है। वहीं दो से 5 वर्ष के बच्चे कों आईवरमेक्टिन नहीं देना है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ राजदेव प्रसाद सिंह, डीभीबीडीसीओ डॉ केके सिंह, भीबीडीसी मोहन कुमार, सभी पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, बीएचएम, केयर के डीपीओ ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, केयर के एमडीए कोओर्डिनेटर, पीसीआई के प्रतिनिधि समेत अन्य लोग मौजूद थे।