बारिश से खरीफ को नुकसान, रबी को फायदा
1 min read* पिछेती गेहूं की खेती में होगी देरी
* कटनी में देरी से धान की फसल बर्बाद होगी
नालन्दा (बिहार) : हरनौत प्रखंड के वे इलाके जहां रबी फसल की बोआई हो चुकी है। उनके लिए हल्की बारिश के साथ बढ़ी ठंढ ने संजीवनी का काम किया है। चने में जाला कीट का प्रकोप बढ़ रहा था। अब तापमान में गिरावट से स्वत: उसका प्रकोप कमेगा।
कई गांवों में नदी में पानी आने से खंधे जलमग्न हो गये थे। वहां मिट्टी गीली होने से हार्वेस्टिंग मशीन खेत में नहीं पहुंच पाई। इस वजह से पचौरा, बसनियावां, लोहरा, पोआरी, गोनावां पंचायत के कई गांवों में धान की कटनी नहीं हो पाई है। अकेले मोबारकपुर के खंधे की करीब 50 बीघे में कटनी नहीं हो पाई है। किसान त्रिवेणी कुमार, पचौरा के टुनटुन प्रसाद, बॉबी, नर्चवार के उदय सिंह, रहुई में मुर्गियाचक के विभूति कुमार कहते हैं कि बारिश से स्थिति और गंभीर हो गई है। इस वजह से खंधे में मसुर की फसल नहीं लग पाई। अब उसका समय भी निकल गया है। पंद्रह से बीस दिनों में कटनी नहीं हुई तो रबी फसल नहीं लग सकेगी।
चंडी के मोसिमपुर निवासी नवीन कुमार ने बताया कि उनके सात बीघे के प्लॉट में चना की फसल लगी है। उसमें जाला कीट का प्रकोप हो गया है। कीट पौधे को काट रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ ब्रजेंदु कुमार ने कहा कि पिछले दिनों तापमान सामान्य से अधिक रहा है। इससे कीट का प्रकोप हुआ है। अब तापमान में कमी होने से स्वत: कीट का प्रकोप कम होगा।
अगर फिर भी कीट लगता है तो विशेषज्ञ से सलाह लेकर दवा का छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि मसुर की खेती अधिकतम 15 से 20 नवंबर तक की जा सकती है। वैसे किसान के पास रबी में गेहूं, सरसों, चना की फसल लेने का समय है।
हालांकि मामूली बारिश व तापमान में गिरावट से किसानों की सक्रियता बढ़ गई है। खेत की जुताई करके वे अब रबी फसल लगाने की तैयारी में हैं।
रिपोर्ट – गौरी शंकर प्रसाद