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तकनीकी और रोजगारपरक शिक्षा की ओर युवाओं की बढ़ी रूचि

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बिहार व यूपी में कराये गये उदया सर्वेक्षण में सामने आये तथ्य

16 वर्ष में लड़के व 14 वर्ष की उम्र में लड़कियां छोड़ देती हैं पढ़ाई

पढ़ाई पर खर्च में असमर्थ होना लड़कियों की पढ़ाई छूटने की मुख्य वजह

मुजफ्फरपुर: युवाओं में रोजगार से जुड़ने के लिए तकनीकी व रोजगारपरक शिक्षा व कौशल विकास संबंधी संभावनाओं की मांग बढ़ी है. पापुलेशन कांउसिल नामक संस्था द्वारा कराये गये एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है. अंडरस्टैंडिंग द लाइफ ऑफ़ एडोलेसेंट एंड यंग एडल्ट्स उदया(Adolescent and Young Adults Udaya ) अध्ययन के अनुसार शिक्षा और रोजगार को लेकर एक दूरी है. इसलिए किशोर व किशोरियों के लिए अवसर पैदा करना जरूरी है.

भारत 25.3 करोड़ आबादी के साथ दुनिया का सबसे अधिक किशोर आबादी (10 – 19 वर्ष की आयु) वाला देश है। वर्तमान में प्रजनन दर में गिरावट के कारण जहाँ एक ओर कुल जनसँख्या में कामकाजी उम्र के युवाओं का प्रतिशत बढ़ रहा है वहीँ बच्चों का प्रतिशत कम हो रहा है।
हालाँकि यह ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ इस युवा जनसँख्या को अपनी शिक्षा और कैरियर से जुड़ी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सही अवसरों में तत्काल निवेश पर निर्भर है।

10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग पर किया गया अध्ययन:
उदया (किशोरों और युवा वयस्कों के जीवन को समझना) अध्ययन के अनुसार शिक्षा से रोज़गार की ओर बढ़ते हुए युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के प्रयास से भारत को अपने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पाने और सतत आर्थिक विकास करने में मदद मिल सकती है. यह अध्ययन पापुलेशन काउंसिल द्वारा उत्तर प्रदेश और बिहार में 10-19 वर्ष की आयु के लगभग 20,000 किशोर व​ किशोरियों पर किया गया था. चयनित उत्तरदाताओं के साथ वर्ष 2015-16 और 2018-19 में दो बार सर्वे किया गया और किशोरावस्था से वयस्क होने के दौरान उनकी प्रगति को ट्रैक किया गया. भारत की कुल किशोर आबादी का एक चौथाई से भी अधिक यानि 7.2 करोड़ किशोर व किशोरियां केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में रहते हैं. उदया के अध्ययन से यह बात स्पष्ट होती है कि इन दो प्रदेशों में किशोरों की पेशेवर आकांक्षाओं को तीव्रता से पूर्ण करने में अभी काफी कमियाँ है. यह अध्ययन उन कमियों, रुकावटों और अन्य कारणों को भी दर्शाता है जिनका सामना किशोर अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने में करते है

14 साल की उम्र में ल​ड़कियां छोड़ रही स्कूली शिक्षा:
इस अध्ययन के मुताबिक 16 वर्ष की उम्र में (10वीं कक्षा के बाद) जबकि लड़कियां 14 वर्ष (8वीं कक्षा के बाद) और 16-17 वर्ष (10वीं कक्षा) की उम्र में स्कूल या कॉलेज से ड्रॉपआउट हो रहे हैं. केवल 40 प्रतिशत लड़के व लड़कियों ने ही 20 वर्ष की उम्र में स्कूल या कॉलेज जाना जारी रखा. लड़कियों के लिए पढ़ाई छोड़ने का मुख्य कारण पढ़ाई में असफलता और परिवार द्वारा पढ़ाई का खर्च झेलने में असमर्थता थी, जबकि लड़कों ने असफलता या नौकरी मिल जाने के कारण पढ़ाई छोड़ी.

80 फीसदी लड़कों की व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में रूचि:
हांलाकि 2015-16 में 80 प्रतिशत लड़के व 89 प्रतिशत लड़कियों ने व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा रखी थी, पर इनमें से केवल 20 प्रतिशत लड़के और 22 प्रतिशत लड़कियां ही अपनी व्यावसायिक प्रशिक्षण सम्बन्धी ज़रूरतों को समझ सकी। राज्य कौशल विकास मिशन के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी जागरूकता बहुत कम थी. केवल एक-चौथाई विवाहित किशोरियाँ अपनी पढ़ाई की इच्छा शादी के बाद पूरी कर सकती है जो आकांक्षाओं और उनको पूरा करने में कमियों को दर्शाता है खासकर उन किशोरियों के लिए जिनका विवाह किशोरावस्था में ही हो जाता है.

शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर व पुलिस की नौकरी को प्राथमिकता:
सर्वेक्षण के पहले चरण (2015-16) के दौरान 61 प्रतिशत युवा किशोर और 53 प्रतिशत युवा किशोरियां शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वकील बनना या पुलिस या सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहते थे। जबकि तीन साल बाद 50 प्रतिशत किशोर और 39 प्रतिशत किशोरियों ने ही इन क्षेत्रों में कैरियर बनाने की बात कही। कई किशोर/ किशोरियों ने खुद का व्यवसाय शुरू करने या प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर, दर्जी, और ब्यूटीशियन जैसी नौकरी करने में रूचि ज़ाहिर की। वहीँ 55 प्रतिशत वयस्क किशोर और 48 प्रतिशत वयस्क किशोरियों ने ये कैरियर अपनाने की इच्छा ज़ाहिर की, जबकि तीन साल बाद केवल 33 प्रतिशत लड़कों और 30 प्रतिशत लड़कियों ने यह इच्छा ज़ाहिर की।

एक चौथाई विवाहित लड़कियों में शैक्षिक आकांक्षओं की समझ:
अध्ययन के मुताबिक सिर्फ एक चौथाई विवाहित लड़कियां अपनी शैक्षिक आकांक्षाओं को समझ पाती है जिससे पता चलता है की उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति मे एक बहुत बड़े अंतर को दर्शाता है और ये उन किशोरियों के साथ और बड़ा हो जाता हैं जहां उनकी शादी किशोरावस्था मे हो गई हो.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि वर्ष 2018-19 में दोनों राज्यों में 18-22 वर्ष के 11 प्रतिशत लड़के और 42 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा, रोजगार या किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण (एनईईटी) से नहीं जुड़ी थी। कुल युवा जनसंख्या के मुकाबले शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण से नहीं जुड़े युवाओं की संख्या को सतत विकास लक्ष्य 8.6 की प्रगति के संकेतक के रूप में अपनाया गया। वर्ष 2020 में विश्व स्तर पर यह दर 22.4 प्रतिशत थी, जबकि भारत में 2018 में 30.4 प्रतिशत उच्चतम दर थी।

यह वर्ष आर्थिक विकास और रोजगार से संबंधित एसडीजी लक्ष्य 8 को प्राप्त करने में बेहद महत्वपूर्ण है। लक्ष्य 8.6 के अनुसार वर्ष 2020 में किसी रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में शामिल न होने वाले युवाओं के प्रतिशत को कम करने का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य 8.b में 2020 में युवा रोजगार के लिए एक वैश्विक रणनीति का विकास और संचालन करने का लक्ष्य रखा गया था।

यह वर्ष आर्थिक विकास और रोजगार से संबंधित एसडीजी लक्ष्य 8 को प्राप्त करने में बेहद महत्वपूर्ण है। लक्ष्य 8.6 के अनुसार वर्ष 2020 में किसी रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में शामिल न होने वाले युवाओं के प्रतिशत को कम करने का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य 8.b में 2020 में युवा रोजगार के लिए एक वैश्विक रणनीति का विकास और संचालन करने का लक्ष्य रखा गया था।

 

एनआईटी पटना के प्रोफेसर रामाकार झा का कहना है “कि युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही खुद के व्यवसाय से जोड़ने के लिए विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है । इसके जरिये उनको आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही सशक्त भी बनाया जा रहा है । बेरोजगार युवक व युवतियां कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर अच्छी जगह पर नौकरी पा सकते हैं । “

प्रोफेसर झा का कहना है कि आज के दौर में युवक व युवतियों को पढ़ाई के बाद बेरोजगार न रहना पड़े इसको ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को ऐसा बनाया गया है कि यदि अच्छी जगह नौकरी न भी मिल पाए तो वह खुद का रोजगार शुरू कर वह आत्मनिर्भर बन सकें । इसीलिए पढ़ाई के दौरान प्रशिक्षण और शोध पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है ।

रिपोर्ट : अमित कुमार