राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम और दस्त नियंत्रण पखवारा 16 सितंबर से
2 min read– 16 से 29 सितंबर तक अभियान चलाकर लाई जाएगी जागरूकता
– क्षेत्र में घर-घर जाकर अभियान को सफल बनाएंगीं आशा
सीतामढ़ी: जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम एवं सघन दस्त नियंत्रण पखवारा (National Worm Eradication Program and Diarrhea Control Fortnight )16 से 29 सितंबर तक चलेगा। दस्त से होने वाली शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस अभियान की बागडोर आशा के हाथों में होगी। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि सभी सीएचसी(CHC ) और पीएचसी(PHC) को अभियान की सफलता के लिए निदेशित किया जा चुका है। कार्यक्रम के बारे में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके झा ने बताया कि इसको लेकर अस्पतालों में तैयारी जोरों पर है। जिले के सभी प्रखंडों एवं शहरी क्षेत्र में आशा को अभियान की सफलता की जिम्मवारी दी गई है। वे अपने -अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर एल्बेंडाजोल की गोली 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोर- किशोरियों को खिलाएंगीं। साथ ही 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों के बीच ओआरएस(ORS) का वितरण एवं डायरिया (Diarrhea) ग्रस्त बच्चों को जिंक की गोली दी जानी है।
इन आयु वर्ग के बच्चों पर रखना है ध्यान :
डॉ एके झा ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवारे के दौरान समस्त पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, पांच वर्ष की उम्र तक के समस्त बच्चे, जो पखवारे के दौरान दस्तरोग से ग्रसित होंगे, उन पर फोकस करना है। पखवारे के दौरान शहरी, झुग्गी-झोंपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय व ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, उन जगहों पर ज्यादा फ़ोकस रखना है। छोटे गांव, टोला, बस्ती, कस्बे जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी हो, वहां सघन अभियान चलाना है।
आशा करेंगी घर-घर जाकर लोगों को जागरूक :
डॉ झा ने बताया कि अभियान के दौरान आशा अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर एल्बेंडाजोल की गोली 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोर- किशोरियों को खिलाएंगीं। साथ ही उनके द्वारा बच्चों के परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना व इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जायेगी। लोगों को बताया जाएगा कि जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाये। दस्त बंद हो जाने के बाद भी जिंक की खुराक दो माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये। जिंक और ओआरएस के उपयोग के बाद भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भेजन जारी रखा जाये। बच्चों की उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा। पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करने के बारे में बताया जाएगा।
निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी है दस्त से शिशु की मृत्यु का कारण :
डॉ झा ने बताया कि डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस व जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवारे के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया की रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण व समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जायेगा।
ना होने दें पानी की कमी :
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दस्त का सबसे खतरनाक पहलू है पानी की कमी होना और अगर इसका समय पर इलाज न हो तो शिशु को अस्पताल भी पहुँचा सकता है। शरीर के खोए हुए तरल पदार्थों की फिर से पूर्ति करना, दस्त के इलाज का पहला कदम है। छह माह तक के बच्चों को स्तनपान कराते रहना है। थोड़े बड़े शिशु को पानी के छोटे–छोटे घूंट, इलेक्ट्रोलाइट घोल, या नमक–चीनी का घोल (ओ.आर.एस.) दिया जा सकता है। ताज़ा नारियल पानी भी इलेक्ट्रोलाइट्स का एक समृद्ध स्रोत है। अपने शिशु को समय–समय पर नारियल का पानी पिलाते रहें।
शिशुओं में ये लक्षण हैं डायरिया के :
– बार–बार उल्टी होना
-कुछ घंटों के भीतर ही 3-4 बार पानी जैसा पतला मल होना
-पानी की कमी के लक्षण जैसे कि शुष्क मुँह, बिना आँसू के रोना, आँखें धँसी होना, 6 घंटे तक लंगोट गीला न होना, धँसा हुआ तालू
-हाथ–पैर का रंग उड़ना
-बुखार जो 24 घंटे से अधिक समय तक रहता है
-दूध, पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ पीने से इंकार कर देता है
-मल में खून आता है
-पेट में सूजन