ठंड में बच्चों को हाइपोथर्मिया से बचाएं- डॉ अंजनी कुमार
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– नवजात बच्चों को दें कंगारू मदर केयर
– Give kangaroo mother care to newborn children
– समय समय पर टीके जरूर लगवाएं
– Make sure to get vaccinated from time to time
सर्दी की दस्तक के साथ ही बच्चों में हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ गया है। ऐसे मौसम में नवजात और शिशुओं की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। डॉ अंजनी कुमार पूर्वी चम्पारण के सिविल सर्जन की मानें, तो जरा सी अनदेखी नवजात और शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। उनका कहना है कि सर्दियों में नवजात की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। सर्दी लगने से बच्चे निमोनिया की चपेट में सबसे ज्यादा और जल्दी आते हैं। बच्चों में हाइपोथर्मिया की समस्या देखने को मिलती है। असल में हाइपोथर्मिया ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान असामान्य रूप से गिरने लगता है। एक स्थिति ऐसी आती है जब ब्लड प्रेशर पूरी तरह से गिर जाता है। इससे बचने के लिए बच्चों को गर्माहट की जरूरत होती है।
जरूरी टीके समय पर जरूर लगवाएं:
पूर्वी चम्पारण के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शरद चन्द्र शर्मा ने बताया कि हाइपोथर्मिया के साथ ही अन्य रोगों से बचने के लिए समय समय पर बच्चों का सभी आवश्यक टीका लगवाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि- बच्चों का जन्म के साथ ही टीकाकरण शुरू कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि नवजात शिशुओं की प्रतिरोध क्षमता कम होती और वे संक्रामक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, कुछ टीकों की बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए ताकि रोग प्रतिरक्षण को बनाए रखा जा सके। ठंड के मौसम में निमोनिया जैसे रोग का भी खतरा बच्चों पर मंडराता है। इसलिए समय समय पर सभी आवश्यक टीका बच्चों को जरूर लगवाने चाहिए।
बच्चों को लगने वाले टीके उन्हें सात जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं। इनमें खसरा, टेटनस, पोलियो, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी और हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियां शामिल हैं।
कंगारू मदर केयर भी है मददगार –
सदर अस्पताल की मेडिकल ऑफिसर डॉ प्रीति गुप्ता कहती हैं कि नवजातों में हाइपोथर्मिया न हो इसके लिए कंगारू मदर केयर भी बेहद कारगर है। इसमें सीने से चिपकाकर बच्चों को रखा जाता है जिससे मां के शरीर की गर्मी भी बच्चों को मिलती है। कंगारू मदर केयर हाइपोथर्मिया के अलावा बच्चे के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।
– हाइपोथर्मिया के ये हैं मुख्य लक्षण:
शरीर में कपकपी, सांस तेजी से चलना, त्वचा का ठंडा पड़ना, थकान महसूस होना, बोलने में परेशानी होना, बेहोशी, नींद अधिक आना या फिर नींद में कमी होना आदि हाइपोथर्मिया के लक्षण हैं।