प्रशिक्षण के बाद शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी
1 min readसदर अस्पताल में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित
शिवहर: स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग, शिवहर द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिला में मातृ मृत्यु व नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार और शुक्रवार को सरोज सीताराम सदर अस्पताल में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत स्टाफ नर्सों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया । दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा किया गया। प्रशिक्षण में प्रसव उपरांत माता की देखभाल व नवजात शिशु की देखभाल के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण में प्रत्येक प्रखंड से एएनएम व जीएनएम को शामिल किया गया। यह प्रशिक्षण सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सुधीर व अंजना प्रसाद, सहयोगी संस्था केयर इंडिया की विशेषज्ञ नीरू ने दिया।
नवजात शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी
प्रशिक्षण को लेकर सिविल सर्जन डॉ आरपी सिंह ने बताया नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य शिशु परिचर्चा और पुनर्जीवन में स्वास्थ्य कार्यकर्ता को प्रशिक्षित करना है। देश के विकास के लिए नवजात शिशु मृत्युदर कम करना जरूरी है। योजना तभी सफल होगी जब आपकी इच्छाशक्ति मजबूत रहेगी। जबतक हम सही ढंग से काम नहीं करेंगे तो रिजल्ट नहीं मिलेगा । उन्होंने एएनएम को बताया चूंकि छोटी-मोटी कारणों से नवजात शिशु की मौत हो सकती है, इसलिए जन्म के समय विशेष देखभाल की जरूरत है।
एक घंटे के भीतर कराएं स्तनपान
केयर इंडिया की डीटीओएफ नीरू ने बताया जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिए स्तनपान अमृत समान होता है। यह अवधि दो मायनों में अधिक महत्वपूर्ण है। पहला यह कि शुरुआती दो घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होता है। इस दौरान स्तनपान की शुरुआत कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर पाता है। सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव दोनों स्थितियों में एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। इससे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जिससे बच्चे का निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों में भी बचाव होता है।
परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने पर जोर
प्रशिक्षण में एएनएम व जीएनएम को बताया गया सीमित परिवार बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के साथ खुशहाल परिवार की पहचान होती है। इसलिए महिलाओं को परिवार नियोजन के साधन अपनाने पर जोर दिया जाए। दो से अधिक बच्चे होने पर बच्चों की बेहतर परवरिश बाधित होती है। इसके लिए परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थाई साधनों को बढ़ावा देना जरुरी है। इसे ध्यान में रखते हुए स्लम बस्ती में लोगों को परिवार नियोजन के स्थायी उपाय जैसे महिला एवं पुरुष नसबंदी, प्रसव उपरांत नसबंदी और अस्थायी उपाय जैसे कंडोम, कॉपर-टी, आईयूसीडी, अंतरा गर्भनिरोधक इंजेक्शन, गर्भ निरोधक गोली आदि के बारे में बताएं।
रिपोर्ट : अमित कुमार