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बैनर-पोस्टर के जरिए डेंगू से बचाव के प्रति समुदाय को किया जा रहा जागरूक

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– हर प्रखंड कार्यालय और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता के लिए लगाया गया है होर्डिंग
– प्रशिक्षण पाकर आशा और जीविका दीदियां भी क्षेत्र में लोगों को कर रहीं जागरूक
– डेंगू की रोकथाम के लिए डीवीडीसीओ ने बैठक कर स्वास्थ्य कर्मियों को दिए निर्देश

सीतामढ़ी। 

बरसात से जाड़ा आने तक का समय डेंगू बुखार के लिए ज्यादा जोखिम भरा होता है। इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं, जिसके चलते अधिकतर लोग इस समय में ही बीमार पड़ते हैं। ऐसे में इस वक्त सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। ये बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रवींद्र कुमार यादव ने अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित बैठक में कहीं। उन्होंने डेंगू की रोकथाम के लिए वीडीसीओ, डीपीओ, बीएचआइ और केटीएस को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बताया कि जिले में डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हर प्रखंड कार्यालय और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इसके लिए होर्डिंग लगाए गए हैं। सभी पीएचसी प्रभारी को निर्देश दिया गया है कि डेंगू की रोकथाम और उसके इलाज के लिए सभी व्यवस्था सुनिश्चित करें। क्षेत्र में आशा और जीविका दीदियों को प्रशिक्षित कर समुदाय को जागरूक करने की मुहिम पर लगाया गया है।

आम मच्छरों से अलग होता है एडीज :

डॉ रवींद्र ने बताया कि डेंगू का मच्छर आम मच्छरों से काफी अलग होता है। जिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है, उस का नाम होता है मादा एडीज एजिप्टिस मच्छर। अगर इस मच्छर के दिखने की बात करें तो यह दिखने में भी सामान्य मच्छर से अलग होता है और इसके शरीर पर बाघ जैसी धारियां बनी होती हैं। इसलिए इसे टाइगर मॉस्क्यूटो भी कहते हैं। यह मच्छर अक्सर रोशनी में ही काटते हैं। डेंगू के मच्छर दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं। वहीं अगर रात में रोशनी ज्यादा है तो भी यह मच्छर काट सकते हैं। इसलिए सुबह और दिन के वक्त इन मच्छरों से ज्यादा सतर्क रहें। यह मच्छर एक आदमी को काटने से संतुष्ट नहीं होता। यह ग्रुप में कई लोगों को काट लेता है। इसलिए अगर समूह में कोई एक आदमी डेंगू से प्रभावित हो जाता है तो आशंका रहती है कि उस समूह के अन्य लोग भी इसकी चपेट में आए होंगे।

पानी जमा ना होने दें, उस पर थोड़ा केरोसिन तेल डाल दें :

डॉ रवींद्र के अनुसार शहरी जीवनशैली की यह बीमारी गांव-कस्बों में भी आ गई है। अब गांव में भी फ्रीज, कूलर, फूल गमले घर-घर में दिख जाएंगे। इन्हीं में जमा हुए पानी में ये मच्छर पनपते हैं। 10 एमएल पानी भी इनके पनपने के लिए प्रयाप्त होता है। अगर इन चीजों में जमा हुए पानी पर थोड़ा केरोसिन तेल डाल देंगे तो उसके ऊपर जमा तेल के सतह के कारण ऑक्सीजन का कनेक्शन टूट जाएगा, जो लार्वा को पनपने नहीं देगा। घर के आसपास के गड्ढों में भी साफ पानी न जमा होने दें।

ये लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से लें परामर्श :

डॉ रवींद्र ने बताया कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं, क्योंकि इसमें सर्दी-खांसी के अलावा बदन दर्द के साथ तेज बुखार रहता है। इसके अलावा आंख के पिछले भाग में दर्द, हथेली में खुजलाहट, शरीर पर चकत्ते उभर आते हैं। जब प्लेटलेट्स टूटने लगते हैं तो शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव होने लगता है। डेंगू में अपने से इलाज घातक हो सकता है। कई बार लोग दर्द निवारक दवा का खुद से सेवन करने लगते हैं, जोकि काफी घातक हो सकता है। इससे प्लेटलेट्स और टूटने लगता है, जिससे रक्तस्राव की आशंका रहती है।

प्लेटलेट्स कम होने पर घबराएं नहीं, खूब तरल पदार्थ लें :

डॉ रवींद्र के अनुसार डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर लोग घबरा जाते हैं। डेंगू होने पर ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेना चाहिए। प्लेटलेट्स 20 हजार पर पहुंचने पर ही मरीज को प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। अभी के मौसम में डेंगू से बचने के लिए हमेशा फुल बाजू के कपड़े पहनने चाहिए। रात में या दिन में मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए। आसपास हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। सतर्कता ही डेंगू से बचने का बेहतर उपाय है।